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उदय प्रभा त्रैमासिक वार्तापत्र, हिंदी विभाग
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प्राकृत भाषा का विकास निरन्तर गतिशील रहेगा - प्रो. आई. वी. त्रिवेदी
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सुविवि- पीएचडी प्रवेश परीक्षा (रीट) 21 नवंबर को, 30 सितंबर तक भरे जा सकेंगे फॉर्म
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कुलपति ने किया टीकाकरण शिविर का निरीक्षण
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कुलपति ने किया सभी विभागाध्यक्षों को संबोधित
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सुविवि- इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में इसी सत्र से होंगे प्रवेश
Uploaded On : 17 September, 2021
MLSU: Vice-Chancellor suddenly arrived Cafeteria for inspection
Uploaded On : 15 September, 2021

जन्मदिवस : मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 60 वर्ष पूर्ण करने पर विशेष आलेख

Uploaded On : 19 July, 2021

जन्मदिवस : मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 60 वर्ष पूर्ण करने पर विशेष आलेख
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मैं मोहनलाल सुखाड़िया  विश्वविद्यालय,उदयपुर हूँ। आज मेरा 60वां जन्मदिवस है। बड़े और पुराने बरगद की जड़ो की तरह मेरे विद्यार्थियों की ख्याति संपूर्ण प्रदेश में हैं। उम्रदराज होने के साथ मैंने 2 लाख विधार्थियों और 190 सम्बद्ध महाविद्यालयों की अकूत संपत्ति एकत्रित की है। प्रतिष्ठा और ख्याति का सूद आज भी प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं। समय के चक्र के साथ निरन्तर चलते हुए मैं 60 वर्ष का पड़ाव पार करने जा रहा हूँ। आप सभी के स्नेह, प्रेम, विश्वास और सहयोग के बिना यह असंभव था। आज मेरे जन्मदिवस के अवसर पर मैं अपने अंतर्मन की बातें आपसे सांझा करना चाहता हूँ।

मेरे लिए गौरव का क्षण है कि आज मैं 60 वर्ष का हो गया हूं। साथ ही मुझे प्रसन्नता हो रही है कि मेरी ऐतिहासिक गौरव यात्रा को निरंतर जारी करने का सौभाग्य मेरे हमउम्र कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह को प्राप्त हुआ है। हम दोनों 60 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं इसलिए एक दूसरे को बहुत बखूबी समझते हैं। कुलपति सिंह के रूप में एक अच्छे मित्र को पाकर में प्रफुल्लित हूँ। मैं सदियों से चलता रहा हूं लेकिन प्रो.सिंह का हाथ पकड़कर में दौड़ना सीखा हूँ साथ ही उनकी उंगली पकड़ कर विकास और प्रगति के राष्ट्रीय राजमार्ग पर सरपट चलने का हुनर भी सिख चुका हूँ। बाधाओं और आलोचनाओं की नदियां भी तैर कर पार करना उन्होंने मुझे सिखा दिया है। अब इतना समर्थ हो चूंका हूँ की उच्च शिक्षा का ओलम्पिक अकेला खेल सकता हूँ।

प्रो. सिंह और हम दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, उनके बिना मैं स्वयं को अधूरा सा महसूस करता हूं, कभी कभी मुझे महसूस होता है कि अब मैं वृद्ध हो चला हूं लेकिन प्रोफ़ेसर सिंह ने मेरा दामन थाम मुझे एहसास दिलाया कि अभी मेरे प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए मेरे बहुत सारे दायित्व हैं। सदियों के ऐतिहासिक दौर की यात्रा कर मुझे लगता है कि मुझे अभी अपने प्रदेश के लिए बहुत कुछ करना है। असंख्य विद्यार्थी और उनके अभिभावक अपनी आँखों में बड़े-बड़े सपने लिए अपेक्षाओं के साथ मुझे निहारते रहते हैं। गाँव की हर छोटी से छोटी पगडंडी से यात्रा करके आया निर्धन आदिवासी विद्यार्थी मेरे आँगन में अध्ययन कर आगे बढ़ना चाहता हैं। लोगो बहुत सारी अपेक्षाओं को पूरा करते-करते कभी कभी निढाल हो जाता हूं लेकिन अमेरिका सिंह के साथ में स्वयं को सशक्त और गतिशील महसूस करता हूँ। मुझे मालूम है कि मेरी विकास की डोर सक्षम हाथो में हैं। प्रो.सिंह के सक्षम और सफल नेतृत्व में मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ। उनके साथ मिलकर मैं विश्विद्यालय में विकास के गीत गुनगुनाना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कि प्रो.अमेरिका मेरे गौरव को दिन प्रतिदिन बढाएंगे। मैंने प्रो.अमेरिका के साथ मिलकर एक स्वप्न देखा है कि हम उच्च शिक्षा में देश के सिरमौर बने। कभी-कभी यह सोच कर संतोष होता है कि मैंने अपने मुखिया होने का दायित्व भलीभांति निभाया हैं।

आज मेरे हितधारक और विद्यार्थी संपूर्ण देश, प्रदेश और वैश्विक स्तर पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। पिछले 60 वर्षों में मैं बहुत से उतार-चढ़ाव के साथ प्रतिष्ठा और उच्च शिक्षा के गौरव को बरकरार रखा हैं। जनमानस में व्याप्त मेरी लोकप्रियता ने मेरे सीने को और चौड़ा कर दिया है। इतिहास के पन्नों में सिमटी मेरी यह कहानी मेरे अनुभव और विश्वसनीयता को बयाँ करती हैं।जिन उद्देश्यों के साथ मेरी स्थापना की गई थी, मुझे खुशी है कि मैं उनकी पूर्ति करने में सफल रहा हूँ। असंख्य नीति निर्धारक कुलपतियों ने मुझे तराशा है।कई सदियों के संघर्ष और उतार-चढ़ाव के बाद आज मुझे ढाई लाख विद्यार्थियों के अभिभावक होने का गौरव प्राप्त हुआ हैं। मेरे विद्यार्थी मेरे अमूल्य धरोहर है। प्रो. सिंह साथ मैंने चहुँमुखी प्रगति करते हुए स्वयं को बहुत प्रफुल्लित महसूस किया है। लेकिन आलोचना के समय प्रो.सिंह ने मेरे मनोबल को गिरने नहीं दिया हमेशा मेरे लिए सुदृढ़ प्राचीर की तरह खड़े रहे। मुझे खुशी है कि मेरा कुलपति मेरा मित्र एक सजग प्रहरी है, जिसने सैदेव मेरें गौरवमयी मुकुट का मान रखा और मेरी ख्याति को बढ़ाया हैं। हम इससे और आगे बढ़ना चाहते है और विकास की यात्रा को अनवरत जारी रखना चाहते है,लेकिन यह सोचकर मन उदास हो जाता है कि मेरे मित्र कुछ समय बाद मुझसे बिछुड़ जाएगा ऐसे में यह विकास गाथा मुझे अकेली ही गानी पड़ेगी। लेकिन फिर भी मेरी गौरव गाथा के पन्नों में कोई ना कोई रंग भरता रहेंगा। मेरे जन्म दिवस के अवसर पर आज मैंने यह संकल्प लिया है कि मैं जितने अपने मित्र प्रो.सिंह के साथ रहूंगा पल-पल जिंदादिली से जिऊंगा।

जन्म दिवस के अवसर पर मैं आशा करता हूँ कि आपका स्नेह मुझे इसी प्रकार प्राप्त होता रहेगा।

आपका अपना,

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर

Address
Mohanlal Sukhadia University
Udaipur 313001, Rajasthan, India
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Last Updated on : 19/04/24