हाथो के हुनर से ही आत्मनिर्भरता आएगी: प्रो. अमेरिका सिंह देश की आर्थिक समृद्धि में राजस्थान की पारंपरिक हस्त कशीदाकारी का महत्वपूर्ण योगदान: गिरीश सिंघल

हाथो के हुनर से ही आत्मनिर्भरता आएगी: प्रो. अमेरिका सिंह देश की आर्थिक समृद्धि में राजस्थान की पारंपरिक हस्त कशीदाकारी का महत्वपूर्ण योगदान: गिरीश सिंघल वस्त्र मंत्रालय हेंडीक्राफ्ट, भारत सरकार एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्विद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी एंड डिजाइनिंग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो माह की हस्त कशीदाकारी कार्यशाला की शुरुआत हूई। कार्यक्रम के उद्घघाटन सत्र में कुलपति मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय प्रो. अमेरिका सिंह ने प्रतिभागियों से रूबरू होते हुए कहा कि हाथों में समृद्धशाली बनने का गुण होता है, समय प्रबंधन व नव सृजन से ही नए स्टार्टअप सफलता की औऱ अग्रसर होते है। स्वयं का ब्राण्ड मार्केट में उतारने के उद्देश्य से ही कार्यशाला में तन्मयता से भाग ले। कार्यालय विकास आयुक्त हस्तशिल्प के असिस्टेंट डायरेक्टर गिरीश सिंघल ने बताया कि लर्निंग एवं अर्निंग पर आधारित यह कार्यशाला प्रतिभागियों को श्रेष्ठ आर्टिसन्स से सीखने के लिए प्रेरित करती है। सरकार की कई स्कीम्स से स्वरोजगार प्रारंभ किया जा सकता है जिसमें हस्त कला का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है। भारत से एक्सपोर्ट होने वाले हस्त कशीदाकारी का मार्केट शेयर बहुत ज्यादा है, इसमें आय अर्जित करने के अवसर सदैव खुले रहते है। उन्होंने बताया कि डंका, गोटा पत्ती, सोने चांदी के तारों से की जाने वाली कशीदाकारी के लिए राजस्थान और उदयपुर प्रसिद्ध है। प्रो. प्रदीप त्रिखा, एसोसिएट डीन ने कहा कि सृजनात्मकता में नए विचारों का आवागमन हमेशा चलता है, सुई धागा और कपड़े के रंग बिरंगे संसार के साथ आर्थिक विकास भारत की परंपरा में है। हस्तकाशीदाकारी के क्षेत्र में प्रसिद्ध विभूतियों का हुआ सम्मान इस कार्यशाला में हस्त कशीदाकारी करने के लिए श्रीमती आज़ाद वर्डिया, प्रिया खान, मोहम्मद जफ़र और निशाद बानो को कलाभूषण सम्मान दिया गया। कलाग्राम की प्रिया खान को हस्तकशीदाकारी में, मोहम्मद जफ़र को डंके के कार्य के लिए, श्रीमती आज़ाद वर्डिया को बीड वर्क एवं निशाद बानो को आरी-तारी के कार्य के लिए कलाभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रतिभागियों को सीखने के दौरान मिलेगी आर्थिक सहायता इस ट्रेनिंग में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को सीखने के लिए सरकार द्वारा 15000 रूपये का आर्थिक अनुदान मिलेगा। कार्यशाला के प्रारंभ में फैशन टेक्नोलॉजी एवं डिजाइनिंग की प्रभारी डॉ. डॉली मोगरा ने अथितियों का स्वागत करते हुए बताया कि कार्यशाला में सभी तरह की कशीदाकारी को सम्मिलित किया जायेगा, एथनिक व वेस्टर्न वियर की रेंज को फ्यूज़न करके श्रेष्ठ उत्पादन करने पर ज़ोर दिया जाएगा। डॉ. ममता कावड़िया ने कार्यक्रम का संचालन किया। प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण पर: जन संचार प्रभारी डॉ. पी. एस. राजपूत ने बताया कि अभी विभाग में सभी कोर्सेज में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। तीन डिप्लोमा कोर्सेज के साथ फैशन टेक्नोलॉजी एंड डिजाइनिंग में मास्टर्स कोर्स में प्रवेश लेकर इस क्षेत्र में कैरियर बनाया जा सकता है। न्यूनतम फ़ीस के साथ विभाग में आधुनिक मशीनों की लैब्स में सीखने व कार्य करने का अनुभव मिलता है।
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Last Updated on : 02/12/24