Two years of the tenure of Governor Shri Kalraj Mishra completed: The book 'Nai Raah of All-round Development' was launched in Raj Bhavan.
राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि राज्यपाल का पद आराम करने का नहीं बल्कि निरंतर कार्य करने का है। उन्होने कहा कि संविधान की पालना सभी के लिए जरूरी है। इसका कहीं किसी स्तर पर अतिक्रमण हो रहा हो तो उसे रोकने का कार्य राज्यपाल का पद करता है। उन्होंने संविधान को लोकतंत्र का प्राण और मार्गदर्षक बताते हुए अपने दो वर्षों के कार्यकाल में लोगों से मिली आत्मीयता का भाव-भरा स्मरण भी किया।
राज्यपाल श्री मिश्र गुरूवार को राजभवन में आयोजित ‘सर्वांगीण विकास की नई राह- प्रतिबद्धता के दो वर्ष’ पुस्तक के लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोगों को पता चलना चाहिए कि राज्य के प्रथम नागरिक के रूप में राज्यपाल कैसे कार्य करता है, इसीलिए उन्होंने राजभवन को निंरतर सकारात्मक गतिषील बनाए रखा। प्रतिदिन लोगों को मिलने का समय दिया। राजभवन के द्वार ऐसे लागों के लिए भी खोले जो पहले यहां प्रवेश नहीं पा सकते थे। उन्होंने राजभवन के माध्यम से जनजाति क्षेत्रों में राहत के किए प्रयासों, आदिवासी युवाओं के रोजगार के लिए कोचिंग कक्षाओं को प्रभावी करने, आदिवासी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए हुए प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी।
श्री मिश्र ने कहा कि जनकल्याण की दृष्टि से देश में संवैधानिक व्यवस्थाओं का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक कर्त्तव्यों के साथ जन हित से जुड़ी प्रक्रियाओं को प्राथमिकता देते दो वर्षां में निरंतर यह प्रयास रहा है कि राजस्थान का प्रभावी एवं चंहुमुखी विकास हो।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि सभी नागरिक संविधान की मूल भावना और अपने मौलिक कर्तव्यों के लिए जागरूक बनें, इस दिशा में विधानसभा में बजट अभिभाषण से पहले संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाकर देश में नवीन परिपाटी की स्थापना हुई। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में युवा पीढ़ी को संविधान के प्रति जागरूक करने के लिए सविधान पार्कों के निर्माण और राजभवन परिसर में भी संविधान पार्क के निर्माण की पहल हुई।
प्रदेश के विश्वविद्यालयों को शिक्षा में देशभर में अग्रणी करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की चर्चा करते हुए राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि कुलाधिपति के रूप में विश्वविद्यालयों के जरिए गांवों के विकास, कोविड प्रबंधन में सहयोग, आदिवासी क्षेत्रों के कल्याण आदि के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत गांव गोद लेकर उनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देने के साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं से उन्हें स्मार्ट विलेज के रूप में रूपान्तरित किया जा रहा है। उन्होंने कोविड के दौरान पश्चिम क्षेत्र कला केन्द्र की ओर से कलाकारों को आर्थिक सहयोग के लिए की गयी पहल, रेडक्रॉस सोसायटी के 23 जिलां में गठन, स्काउटिंग के जरिए कोविड में सहयोग और अन्य स्तरों पर राजभवन की सक्रियता की चर्चा करते हुए कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए कार्य हो, यही उनकी प्राथमिकता रही है।
राज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति को विश्वविद्यालयों में व्यावहारिक रूप में लागू करने के लिए राजभवन की ओर से कुलपतियों का तीन दिवसीय विशेष सम्मेलन आयोजित किया गया। कोविड के विकट दौर में भी उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने और वैश्विक चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालयों को सुदृढ़ करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है। विश्वविद्यालयों को तकनीकी और विज्ञान विषयों से जुड़े पाठ्यक्रम अंग्रेजी के साथ हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में भी तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं जिस पर विश्वविद्यालयों द्वारा कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। कोविड के दौर में विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह ऑनलाईन आयोजित किए गए।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि राज्यपाल राहत कोष का पुनर्गठन कर इसका प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया गपा है। राहत कोष का दायरा बढ़ाकर उसके उद्देश्य को व्यापक करते इसके तहत ऐसे जरूरतमंदों को सहायता देने का प्रयास किया है जिन्हें पहले किसी भी स्तर पर कोई सहायता उपलब्ध नहीं हो रही थी। राहत कोष से प्रधानमंत्री केयर्स फंड और मुख्यमंत्री राहत कोष में सहायता देने के साथ ही बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए विशेष आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान से उन्हें लोगों का अपार प्यार और सहयोग मिला है। सभी के सहयोग और विश्वास के कारण पता ही नहीं चला कि दो वर्ष कैसे व्यतीत हो गए। उन्होंने कहा कि उनकी भविष्य में भी प्राथमिकता रहेगी कि राजभवन सभी के लिए खुला रहे और संवैधानिक प्रक्रियाआें के तहत सभी समान रूप से लाभान्वित हों। उन्होंने राजभवन सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग के लिए उनका आभार भी जताया।
राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार ने कहा कि राजस्थान में राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने राजभवन में निरंतर कार्य करने की नयी कार्य संस्कृति का प्रसार किया है। उन्होने कहा कि राज्यपाल की पहल पर प्रदेश में सैनिक कल्याण बोर्ड की वर्षों से नहीं हो रही बैठक आयोजित हुई और पूर्व सैनिकों को लाभान्वित किया गया। रेडक्रॉस की जिला समितियों का पुनगर्ठन किया गया और राज्यपाल राहत कोष का भी 21 साल बाद पुनर्गठन करते हुए इसके जरिए सहायता से वंचित अधिकाधिक लोगों को लाभान्वित करने की राज्यपाल के निर्देशानुसार पहल की गयी है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल श्री मिश्र मृद व्यवहार के साथ कार्य के लिए सभी को निरंतर प्रोत्साहित करते हैं इसीलिए राजभवन में अहर्निष कार्य करने की संस्कृति विकसित हुई है।
राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्दराम जायसवाल ने कहा कि राज्यपाल श्री मिश्र की कार्य शैली सभी को साथ लेकर टीम भावना से अनवरत कार्य करने की है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक परम्पराओं के प्रति जागरूक रहते सभी को जागरूक करने के साथ ही वह मानवीय सरोकारों के साथ सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने में विश्वास रखते हैं। इसी विश्वास के चलते राजभवन के जरिए विकास की नयी परम्पराओं का सूत्रपात हुआ है। उन्होंने राजभवन की गतिशीलता में योगदान देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का स्मरण करते हुए उनका आभार भी जताया।इस अवसर पर राजभवन के अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहें।
‘सर्वांगीण विकास की नई राह’ पुस्तक राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा राजभवन में लोकार्पित हुई ‘सर्वांगीण विकास की नई राह : दो वर्ष प्रतिबद्धता के’ पुस्तक में राजस्थान, राजभवन और राज्यपाल द्वारा राजस्थान में विकास के लिए प्रारंभ की गयी नई परम्पराओं का चित्रमय विवरण है।
राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा राजस्थान में 9 सितम्बर 2019 को राज्यपाल बनने के बाद संविधान जागरूकता के लिए विधानसभा के अभिभाषण में संविधान की उद्देशिका और कर्तव्यों के वाचन की परम्परा के ऐतिहासिक सूत्रपात, दो वर्षां के दौरान उच्च षिक्षा में गुणवत्ता में सुधार के लिए किए गए प्रयासों, नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए हुई पहल आदि पर विस्तार से इसमें जानकारियां दी गयी है। पुस्तक में आदिवासी एवं जनजाति कल्याण, गांव गोद लेकर किए उनके विकास के लिए किए गए कार्यों, राजभवन द्वारा स्थापित विकास की नवीन परम्पराओं, कोरोना संकट में भी सतत हुए विकास कार्यों, सैनिक कल्याण, स्काउट गाईड के जरिए समाज कल्याण, राज्यपाल राहत कोष के दायरे को बढ़ाकर इसके जरिए हुए कार्य और राजभवन के सामाजिक सरोकारों पर विस्तार से जानकारी दी गयी है।
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